
*महाशिवरात्रि आज लाखों श्रद्धालु करेंगे बाबा टांगीनाथ धाम में जलाभिषेक।*
*देश के भिन्न भिन्न राज्यों से होता है भक्तों का आगमन।*
(गुमला)। जिले का शीर्ष धार्मिक सह पुरातात्विक स्थल बाबा टांगीनाथ धाम में आज श्रद्धालुओं का तांता लगा रहेगा। समिति ने पूजन व्यवस्था की पूरी तैयारी कर ली है। झारखंड सहित अन्य राज्यों से भी भारी संख्या में श्रद्धालु बाबा के दर्शन व पूजन हेतु पधारेंगे। इसके मद्देनजर पुलिस प्रशासन भी पूरी तरह अलर्ट है। जगह जगह पर बैरिकेटिंग बनाकर भीड़ को नियंत्रित करने की समिति ने पूरी तैयारी कर ली है। वहीं महाशिवरात्रि में लगने वाले भव्य मेले के संचालन हेतु मेला समिति का गठन कर पूरी तत्परता के साथ सभी दुकानदारों को समिति के निर्देशानुसार व्यवस्थित किया गया है। साथ ही श्रद्धालुओं हेतु पीने का पानी, खोया पाया विभाग, स्वास्थ्य शिविर सहित अन्य स्टॉल लगाकर दूर दराज से आने वाले भक्तों की सेवा हेतु समिति व प्रखंड प्रशासन भी पूरी व्यवस्था में अपनी पैनी नजर रखने को तत्पर है। धाम के ऊपरी क्षेत्र में सीसी टीवी से पूरी निगरानी रखी जा रही है। वहीं मंदिर परिसर एवं मेला के संचालन में लोगों की भीड़ को नियंत्रित करने के लिए सैंकड़ों वोलेंटियरों को भी तैनात किया गया है। साथ ही पूजन व्यवस्था को दुरुस्त करते हुए समिति की ओर से नारियल व अगरबती का मंदिरों में प्रयोग नहीं करने की अपील की गई है ताकि मंदिरों में धुवां न हो और नारियल से शिवलिंग ढंक न जाए। छोटनागपुर के इस धरातल पर अवस्थित बाबा टांगीनाथ धाम शिव और शक्ति का अद्भुत संगम स्थल है जहां शिव, शक्ति, वैष्णव, गणेश एवं भगवान सूर्य की एक साथ उपासना की जाती है। यहां की महिमा सुन लोग स्वतः खींचे चले आते हैं, हरी-भरी सुंदर वादियों में स्थित पहाड़ी व झरना के बीच स्थित यह धार्मिक स्थल भक्तों को अपनी ओर आकर्षित करता है। यहां के प्राकृतिक सौंदर्य के साथ ही पुरातात्विक एवं ऐतिहासिक महत्व के कारण लोग अपनी-अपनी जिज्ञासा तथा देवी देवताओं से शक्ति, भक्ति व मनोकामना सिद्धि हेतु यहां पधारते है। यहां के मुख्य आकर्षण का केंद्र है यहां का विशालकाय अक्षय त्रिशूल जिसपर किसी भी मौसम का कोई असर नहीं होता और खुले स्थल पर विराजमान होने के बावजूद भी इसकी चमक यथावत बनी रहती है। साथ ही यहां आपरूपी निकले सैंकड़ों शिवलिंग व अनेकों देवी देवताओं की प्रतिमाएं हैं जिनका मनोरम दृश्य भक्तों के मन को मोह लेता है और यही कारण है की यहां सालों भर श्रद्धालुओं का दूर दूर से आवागमन होता रहता है।